खारुन नदी के तट के पास हल्की सर्द सुबह को एक बच्ची के रोने की आवाज ने वहां से गुजर रहे लोगों का ध्यान खींचा। मॉर्निंग वॉक पर निकले एमएम जैन ने झाड़ियों के पास एक थैले में लिपटी बच्ची देखी। उन्होंने पुलिस को सूचना देकर बच्ची को अस्पताल पहुंचाया और उसकी जान बचाई।
खारुन नदी के शांत तट, जहां कभी पक्षियों की मधुर चहचहाहट गूंजती थी, वहां बुधवार की सुबह एक नन्हीं जान की सिसकियों से गूंज उठीं। ग्रीन अर्थ सिटी के समीप अमलेश्वरडीह मार्ग पर झाड़ियों में मिली दो माह की एक मासूम बच्ची।
सुबह की सैर पर निकले लोगों ने जब उसका रुदन सुना, तो उनका हृदय कांप उठा। लगभग दो माह की नन्हीं बेटी रुदन स्वर में शायद यही कह रही थी, मां यह तो मेरी पहली होली थी। तूने मेरा साथ क्यों छोड़ दिया, आखिर मेरा कसूर क्या था? जब मुझे इस दुनिया में लाया ही था तो इस तरह क्यों छोड़ दिया?
एक थैले में लिपटी, चींटियों से घिरी, वह नन्हीं जान भय और पीड़ा से कांप रही थी। एमएम जैन सुबह की सैर पर निकले थे। उन्होंने बच्ची की आवाज सुनी और तुरंत अपने मित्रों, विकास पंसारे और नारायण शर्मा को बुलाया। उन्होंने बिना देरी किए बच्ची को झाड़ियों से निकाला और पुलिस की आपातकालीन सेवा को सूचित किया।