व्रत को लेकर लोगों की आदतें अलग-अलग होती हैं. कुछ लोग व्रत से एक दिन पहले जमकर भोजन करते हैं ताकि अगले दिन भूख का अहसास कम हो. वहीं, कुछ लोग व्रत के दिन भी बार-बार फलाहार करते हैं. लेकिन क्या यह तरीका सही है?
आयुर्वेद और आधुनिक पोषण विज्ञान दोनों ही बताते हैं कि व्रत का असली उद्देश्य शरीर को विश्राम देना और पाचन तंत्र को डिटॉक्स करना होता है. व्रत से पहले जरूरत से ज्यादा खाना पेट पर अतिरिक्त बोझ डालता है, जिससे अगली सुबह तक भारीपन, गैस और अपच जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
इसी तरह, व्रत के दौरान बार-बार कुछ न कुछ खाना भी व्रत की मूल भावना के विपरीत है. फलाहार का मतलब यह नहीं कि पूरे दिन कुछ न कुछ खाते रहें, बल्कि जरूरी ऊर्जा के लिए सीमित और संतुलित मात्रा में फल, सूखे मेवे या दूध लिया जाए.
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर आप स्वस्थ हैं तो व्रत के दिन सिर्फ एक बार हल्का फलाहार करना पर्याप्त होता है. इससे शरीर को ऊर्जा भी मिलती है और पाचन तंत्र को आराम भी. इसलिए व्रत को सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान न समझें, बल्कि इसे एक स्वास्थ्यवर्धक अभ्यास की तरह अपनाएं. व्रत से पहले हल्का, सुपाच्य भोजन करें और व्रत के दिन संयमित फलाहार लें. यही है असली व्रत का संतुलन.