Shiva Purana: भगवान शिव की पूजा में कुछ वस्तुओं का अर्पण वर्जित माना गया है, जिसका उल्लेख शिव पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. इन नियमों का पालन करके हम भगवान शिव की पूजा शास्त्रों के अनुसार कर सकते हैं, जिससे उनकी कृपा प्राप्त होती है. निम्नलिखित वस्तुएं शिवलिंग पर नहीं चढ़ाई जानी चाहिए
केतकी (केवड़ा) का फूल: पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ. भगवान शिव ने एक ज्योतिर्लिंग प्रकट किया और कहा कि जो इसकी सीमा का पता लगाएगा, वही श्रेष्ठ होगा. ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल की झूठी गवाही देकर दावा किया कि उन्होंने लिंग की सीमा देख ली है. इस झूठ के कारण भगवान शिव क्रोधित हो गए और केतकी के फूल को अपनी पूजा में वर्जित कर दिया.
तुलसी के पत्ते: तुलसी का संबंध भगवान विष्णु से माना जाता है, इसलिए शिव पूजा में इसका उपयोग वर्जित है.
हल्दी: हल्दी को स्त्री सौंदर्य से जोड़ा जाता है, जबकि शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है. इसलिए, शिव पूजा में हल्दी का उपयोग नहीं किया जाता.
कुमकुम और सिंदूर: ये वस्तुएं भी स्त्री सौंदर्य से संबंधित हैं, इसलिए शिवलिंग पर इन्हें अर्पित करना वर्जित है.
शंख से जल अर्पण: शंख का संबंध दैत्य शंखचूड़ से है, जिसका वध भगवान शिव ने किया था. इसलिए, शिव पूजा में शंख का उपयोग नहीं होता.
नारियल या नारियल का पानी: शिवलिंग पर नारियल या उसका पानी अर्पित नहीं किया जाता, क्योंकि शिवलिंग पर चढ़ाई गई वस्तुएं ग्रहण नहीं की जाती हैं.
लाल रंग के फूल: शिवलिंग पर लाल रंग के फूल, जैसे कनेर या कमल, अर्पित नहीं किए जाते.
तामसिक वस्तुएं: मसालेदार भोजन, तेल और सूखे मेवे जैसी तामसिक वस्तुएं भगवान शिव को प्रिय नहीं हैं, इसलिए इन्हें पूजा में नहीं चढ़ाना चाहिए.