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भगवान मुरुगन का यह मंदिर अपनी अनोखी परंपरा के लिए बेहद प्रसिद्ध

Palani Murugan Temple: कदीगाचलम, जिसे पलानी मुरुगन मंदिर भी कहा जाता है, तमिलनाडु में भगवान मुरुगन के छह पवित्र निवासों (अरुपदाईवीडु) में से एक है. यह मंदिर अपनी अनोखी परंपरा और आध्यात्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है।

पलानी मुरुगन मंदिर से जुड़ी रोचक जानकारियां (Palani Murugan Temple)

भगवान मुरुगन की अनूठी प्रतिमा – इस मंदिर में विराजमान दंडायुदपाणि स्वामी की प्रतिमा किसी पारंपरिक पत्थर या धातु से नहीं बनी है, बल्कि इसे नवरस (नौ विशेष जड़ी-बूटियों, रसायनों और धातुओं) से तैयार किया गया है. इस प्रतिमा का निर्माण प्रसिद्ध सिद्ध योगी और रसायन शास्त्री भगवान भोगर द्वारा किया गया था।

पौराणिक कथा से जुड़ा महत्व – मान्यता है कि भगवान शिव ने अपने पुत्र कार्तिकेय (मुरुगन) को ज्ञान का अमृत फल (ज्ञानपझम) देने का वचन दिया था. लेकिन गणेश जी की बुद्धिमानी के कारण यह फल उन्हें मिल गया, जिससे नाराज होकर मुरुगन पलानी की पहाड़ियों पर आ गए और एक सन्यासी का रूप धारण कर लिया. इसलिए, यहाँ की मूर्ति में भगवान मुरुगन केवल लंगोट (कोपीन) पहने योग मुद्रा में दिखाई देते हैं।

 

पहाड़ी पर स्थित मंदिर – यह मंदिर लगभग 500 मीटर ऊँची पहाड़ी पर स्थित है. यहाँ तक पहुँचने के लिए भक्त 693 सीढ़ियों, रोपवे (केबल कार) या विंच रेल के माध्यम से चढ़ सकते हैं.

भोगर सिद्धर की समाधि – मंदिर के अंदर ही एक गुफा में भगवान भोगर की समाधि स्थित है. यह गुफा मंदिर के मुख्य गर्भगृह के नीचे बनी हुई है और इसे गुप्त स्थान माना जाता है.

चिरकालिक पूजा परंपरा – मंदिर में प्रतिदिन विभिन्न अनुष्ठान होते हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण ‘कड़िगई पूजा’ है. मान्यता है कि इस अनुष्ठान में सिर्फ 24 मिनट की पूजा से ही भक्त भगवान की कृपा प्राप्त कर सकते हैं.

थाई पोसम का विशाल उत्सव – यहाँ थाई पोसम पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भगवान मुरुगन को ‘कावड़ी’ अर्पित करने आते हैं

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