भगवान हनुमान केवल शक्ति और वीरता के प्रतीक नहीं हैं, बल्कि भक्ति, सेवा, ज्ञान और विनम्रता के भी आदर्श हैं. यही कारण है कि उन्हें एक या दो नहीं, बल्कि 108 पावन नामों से पुकारा जाता है. हर नाम उनके किसी विशेष गुण, कार्य या कथा से जुड़ा है, जो उन्हें विशिष्ट बनाता है।
मारुति’ का अर्थ है पवनदेव के पुत्र.
‘केसरीनंदन‘ – माता अंजना और पिता केसरी के पुत्र के रूप में.
‘महावीर’ – उनकी असीम शक्ति और वीरता को दर्शाता है.
‘रामदूत‘ – भगवान राम के संदेशवाहक और सेवक के रूप में उनकी भक्ति को दर्शाता है.
‘लंकादाहक’ – लंका जलाने वाले के रूप में उनकी रौद्र शक्ति का स्मरण कराता है।
उनकी रौद्र शक्ति का स्मरण कराता है.
इन नामों का जप करते समय हर बार उनके जीवन की कोई न कोई प्रेरणादायक घटना स्मरण हो आती है – जैसे संजीवनी बूटी लाने की लीला, समुद्र पार करने की क्षमता, या फिर राम-रावण युद्ध में उनका योगदान।
हर नाम केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि एक जीवंत कथा और गुण का प्रतीक है. हनुमान जी के 108 नाम हमें यह स्मरण कराते हैं कि उनका व्यक्तित्व बहुआयामी है – वे शक्ति हैं, सेवा हैं, भक्ति हैं और सबसे बढ़कर, वे संकट के समय संबल हैं।