वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण मुखी मकान को सामान्यतः अशुभ माना जाता है, लेकिन यह सभी के लिए हानिकारक नहीं होता. कुछ विशेष व्यक्तियों के लिए यह दिशा लाभकारी सिद्ध हो सकती है, विशेषकर जब उनकी कुंडली के ग्रह और राशि अनुकूल हों. नीचे प्रमुख बिंदुओं के माध्यम से बताया गया है कि किन लोगों को दक्षिण मुखी मकान से बचना चाहिए और किनके लिए यह शुभ हो सकता है।
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जिनकी राशि अग्नि तत्व से नहीं जुड़ी हो: दक्षिण दिशा मंगल की दिशा मानी जाती है, जो अग्नि तत्व से संबंधित है. इसलिए, जिनकी राशि जल या वायु तत्व से जुड़ी होती है, उनके लिए यह दिशा टकराव और असंतुलन ला सकती है.
जल तत्व की राशियाँ: कर्क, वृश्चिक, मीन
वायु तत्व की राशियाँ: मिथुन, तुला, कुंभ
इन राशियों के जातकों को दक्षिण मुखी घर में रहने से बचना चाहिए, विशेषकर यदि कुंडली में मंगल या सूर्य कमजोर हों.
2. जिनकी कुंडली में मंगल या सूर्य नीच के हों या अशुभ भाव में स्थित हों: यदि मंगल या सूर्य कुंडली में नीच के हों, या छठे, आठवें या बारहवें भाव में हों, तो दक्षिण दिशा में स्थित मकान संघर्ष, स्वास्थ्य समस्याएं या तनाव का कारण बन सकता है।
3. राहु-केतु दोष वाले जातक: जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष, पितृ दोष या राहु-केतु की अशुभ स्थिति हो, उन्हें दक्षिण दिशा के मकान से विशेष रूप से परहेज़ करना चाहिए. यह मानसिक तनाव, अनचाही घटनाएँ या अचानक हानि का कारण बन सकता है.
4. जिनकी जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो: यदि चंद्रमा नीच का हो या पाप ग्रहों से दृष्ट हो, तो दक्षिण दिशा का प्रभाव मानसिक असंतुलन, भय, अनिद्रा और बेचैनी को बढ़ा सकता है।
अग्नि तत्व की राशियाँ: मेष, सिंह, धनु
जिनकी कुंडली में मंगल और सूर्य बलवान हों तथा शुभ भावों में स्थित हों
जो लोग सेना, पुलिस, प्रशासन, राजनीति, निर्माण कार्य, रियल एस्टेट या नेतृत्व से जुड़ी भूमिकाओं में हों — उन्हें दक्षिण दिशा में सफलता मिल सकती है।