नवरात्र का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना के साथ-साथ उनकी पावन कथा का पाठ करना भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरी करती हैं। इस साल नवमी तिथि (Chaitra Navratri Day 9) 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर मां सिद्धिदात्री की कथा का पाठ करने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है।
एक बार भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या की थी और उन्हीं की कृपा से भोलेनाथ को सभी तरह सिद्धियां प्राप्त हुईं। इसी कारण भगवान शिव का एक रूप ‘अर्धनारीश्वर’ भी कहलाता है, जिसमें वे आधे शिव और आधी शक्ति के रूप में विराजमान हैं। ऐसी मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की आराधना के बिना किसी भी देवी-देवता की पूजा पूरी नहीं होती। देवी सिद्धिदात्री हिमालय पर्वत के शिखर पर निवास करती हैं और वे सभी सिद्धियों की रक्षा करती हैं।
उनकी कृपा से भक्तों को ज्ञान, बुद्धि, धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। जो भक्त नवरात्रि के नौवें दिन सच्चे मन से मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं और उनकी कथा का पाठ करते हैं, उन्हें जीवन में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहती।
इस नियम से करें कथा का पाठ (Katha Benefits)
स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल पर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा स्थापित करें। मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं और विधिवत पूजा करें। इसके बाद शांत मन से मां सिद्धिदात्री की कथा का पाठ करें या फिर किसी पुरोहित से सुनें। कथा पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव से सुनें। कथा समाप्त होने के बाद मां की आरती करें और भोग अर्पित करें।