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Cuc -गुरु केवल अपने शिष्य से पराजित होने पर गर्व महसूस करता है- प्रो. कृष्ण बिहारी पाण्डेय

गुरु केवल अपने शिष्य से पराजित होने पर गर्व महसूस करता है- प्रो. कृष्ण बिहारी पाण्डे

छिन्दवाड़ा | राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिन्दवाड़ा में भारतीय वाङ्गमय एवं गुरु शिष्य परम्परा विषय पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रो. कृष्ण बिहारी पाण्डेय, पूर्व अध्यक्ष लोक सेवा आयोग उ.प्र. ने अपने ओजस्वी एवं सारगर्भित व्याख्यान में बताया कि ऋग्वेद के ब्राम्हण सूक्त में हमारी सनातन शिक्षा पद्धति का विस्तृत वर्णन मिलता है

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उन्होने ऋग्वेद के दो श्लोकों आचार्य उपनयमानें ब्रम्चारिणः कृणयन्ते गर्भमन्तः का उदहारण देते हुए बताया कि किस प्रकार से समीक्षा मेखला, श्रम व तप के पालन से शिष्य का गुरु सर्वागीण विकास कर समाज में जाकर अपने कर्म करने हेतु शिष्य को तैयार कर गुरुकुल से वापस भेजे जाते थे। ऐसे बटुक का निर्माण इस परम्परा में होता था जिससे तप कर जब वह बाहर आता था तो उसे देखने के लिए देवता भी आते थे। आज की शिक्षा पद्धति में मूलरूप से इस प्रकार की शिक्षा पद्धति का समावेश हो तभी हम एक सभ्य व उन्नत सील समाज का निर्माण करने में अपनी भूमिका तय कर सकेंगे। ऐसे क्रियान्वयन की योजना करने पर प्रो. पाण्डेय ने बल दिया।

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संगोष्ठी में चित्रकुट ग्रामोदय से पधारे प्रो. एस. के. त्रिपाठी ने गुरु शिष्य के कर्तव्यों एवं गुरुकुल संरथना पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए बताया किसे प्रकार से हम एक समृद्ध व मर्यादित सभ्य समाज की रचना कर सकते है। शहडोल विश्वविद्यालय की डॉ. रचना दुबे ने आज की शिक्षा पद्धति व छात्रों के मनोभावों तथा किस प्रकार से शिक्षार्थी व शिक्षक का संबंध क्लास रूम तक सीमित हो गया है. पर प्रकाश डाला तथा इसमें भारतीय अवधारणा की सोच उत्पन्न हो सकें रेखांकित किया।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहें राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. आई.पी. त्रिपाठी ने तैतृीय उपनिषद के शिक्षा खण्ड के अंदर वर्णित गुरु शिष्य के सम्बंधों का विस्तारित कर आज इस प्रकार के शिक्षण व्यवस्था गुरू व शिष्य के आचरण, बात, व्यवहार पर विचार रखें।

 

डॉ. युबराज पाटिल कुलसचिव, डॉ. वॉय के. शर्मा प्राचार्य एक्सीलेंस कॉलेज छिन्दवाड़ा की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम का संचालन शोध निदेशक डॉ. धनाराम व अभार प्रदर्शन सहायक कुलसचिव अंजली चौहान ने किया। इस अबसर 150 शोधार्थी के साथ-साथ विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहें

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